हर गुरुवार को सार्वजनिक वाहनों से कार्यालय आएंगे आरटीओ कर्मचारी, 5 जून से नई पहल की शुरुआत

देहरादून

पर्यावरण संरक्षण और आम लोगों की परिवहन समस्याओं को समझने की दिशा में परिवहन विभाग उत्तराखंड ने एक सराहनीय कदम उठाया है। देहरादून में अब हर गुरुवार को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के सभी कर्मचारी सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर कार्यालय पहुंचेंगे। यह व्यवस्था आगामी 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस से लागू की जाएगी।

 

इस संबंध में आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य केवल पर्यावरण को लेकर जागरूकता फैलाना ही नहीं है, बल्कि विभागीय कर्मचारियों को आम नागरिकों की दैनिक परिवहन संबंधी समस्याओं से अवगत कराना भी है।

 

परिवहन कर्मचारियों को खुद अनुभव करनी होगी आमजन की यात्रा

 

आरटीओ कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को हर गुरुवार निजी वाहन का प्रयोग न करते हुए बस, विक्रम, ऑटो या अन्य सार्वजनिक साधनों से कार्यालय आना होगा। यात्रा के दौरान जो भी असुविधाएं या सकारात्मक अनुभव उन्हें होंगे, वे इसका उल्लेख एक रिपोर्ट के रूप में करेंगे। यह रिपोर्ट परिवहन विभाग को सौंपी जाएगी, ताकि यात्री सुविधा में और सुधार किया जा सके।

 

इस योजना में आरटीओ, एआरटीओ, मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर, कर अधिकारी सहित सभी वर्गों के कर्मचारी शामिल होंगे। इससे अधिकारियों को जमीनी हकीकत का प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा, जिससे नीतिगत बदलावों और सुधारों में मदद मिलेगी।

 

पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी

 

यह योजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर शुरू हो रही इस पहल से विभाग का लक्ष्य वाहनों से निकलने वाले धुएं को कम करने, पेट्रोल-डीज़ल की खपत घटाने और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देना है।

 

आरटीओ (प्रशासन) संदीप सैनी ने कहा कि

 

> “इस व्यवस्था से न केवल हम पर्यावरण को लेकर एक सकारात्मक संदेश देंगे, बल्कि आम लोगों की असली समस्याएं भी समझ सकेंगे। यह प्रयोग अन्य सरकारी विभागों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।”

लोगों और विशेषज्ञों ने की सराहना

सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है। उनका कहना है कि जब अधिकारी खुद सार्वजनिक वाहनों में सफर करेंगे, तभी वे समझ पाएंगे कि यात्रियों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है—जैसे भीड़, समय की पाबंदी, किराए की अनियमितता, साफ-सफाई की कमी आदि।

अन्य विभागों में भी लागू हो सकती है योजना

अगर यह प्रयोग सफल रहता है, तो इसे राज्य के अन्य विभागों और जिलों में भी लागू किया जा सकता है। यह पहल उत्तराखंड को एक पर्यावरण जागरूक और जनसंवेदनशील प्रशासन की ओर ले जाने वाला कदम बन सकती है।

 

आरटीओ की यह पहल एक मिसाल है कि कैसे छोटे-छोटे कदम बड़े बदलावों की नींव बन सकते हैं।

 

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