LGBTQ समुदाय ने देहरादून में किया प्राइड वॉक, अपनी आइडेंटिटी को किया सेलिब्रेट

राजधानी में रविवार को द वॉयस ऑफ वॉरियर फाउंडेशन की ओर से एलजीबीटी कम्युनिटी ने प्राइड वॉक निकालकर अपनी पहचान को सेलिब्रेट किया. समलैंगिकता को लेकर जागरूकता व समानता को बढ़ावा देने के लिए देहरादून में छठी प्राइड परेड का आयोजन किया गया.

एलजीबीटी समुदाय की ओशिन ने कहा कि इस प्राइड वॉक में हमेशा की तरह इस बार भी समुदाय से जुड़े सदस्यों और खासकर ट्रांसजेंडर महिलाओं ने भाग लिया है. उन्होंने ट्रांसजेंडर महिलाओं को Eunuch शब्द से संबोधित किए जाने पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि देहरादून का किन्नर समाज बधाई मांगने के साथ ही कई सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहा है.

ओशिन ने ट्रांसजेंडर की पीड़ा को उठाते हुए कहा कि जेंडर और सेक्सुअलिटी की वजह से उन्हें घर छोड़ देना पड़ता है या फिर उन्हें घर से निकाल दिया जाता है. यह चीज गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए. इस गर्व रैली में भाग लेने के लिए बहुत लोग खुलकर सामने आते हैं और कुछ मास्क से अपना चेहरा ढककर आते हैं. लेकिन लोग बड़े उत्साह के साथ प्राइड वॉक में भाग लेने आते हैं. इस वॉक के जरिए उन्हें पता चलता है कि उनके जैसे लोग इस दुनिया में और भी हैं.

भारत में लेस्बियन (Lesbian), गे (Gay), बाइसेक्शुअल (Bisexual) एवं ट्रांसजेंडर (Transgender) (एलजीबीटी) लोगों को सामाजिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हालांकि पिछले एक दशक में, एलजीबीटी लोगों को काफी अधिकार मिले हैं. 6 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को असंवैधानिक घोषित करके समलैंगिकता के अपराधीकरण को समाप्त कर दिया था. हालांकि इस समुदाय के लोगों को अभी आपस में विवाह करने की अनुमित नहीं है.
2012 में सुप्रीम कोर्ट को सरकार ने बताया था, कि देश में एलजीबीटी व्यक्तियों की संख्या लगभग करीब 25 लाख है. 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने अपनी रिपोर्ट में भारत की कुल आबादी में से करीब 110 मिलियन यानी 1 करोड़ 40 लाख लोगों की संख्या एलजीबीटी बताई थी.

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